महासागरीय अम्लीकरण: परिचय, कारण, प्रभाव और समाधान
परिचय
- समुद्री जल के pH मान में लगातार होने वाली कमी को महासागरीय अम्लीकरण कहा जाता है।
- जीवाश्म ईंधन के दहन से निकलने वाली कार्बन डाइऑक्साइड महासागरीय जल में घुलकर कार्बनिक अम्ल का निर्माण करती है, और यह महासागरीय जल के pH मान को कम कर देती है। जिसके कारण महासागरीय अम्लीकरण होता है।
- हाल की शोध रिपोर्टों के अनुसार, विश्व के महासागरों में महासागरीय अम्लीकरण तेजी से फैल रहा है।
- महासागरीय जल का पूर्व-औद्योगीकरण pH मान 179 था, जो 20वीं शताब्दी में 8.1074 पर आ गया। वर्तमान में, महासागरीय जल का pH मान 8.069 है।

महासागरीय अम्लीकरण के कारण
- जीवाश्म ईंधन का दहन
- महासागरों में कार्बन डाइऑक्साइड की सांद्रता में वृद्धि
- औद्योगिक क्रांति से प्रदूषण में वृद्धि
- वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड की सांद्रता में वृद्धि
- जैव विविधता की हानि
- रासायनिक अभिक्रिया के कारण हाइड्रोजन आयनों की सांद्रता में वृद्धि
- पर्यावरण के अनुकूल कानूनों और नियमों का अभाव
- कार्बोनेट आयनों में कमी
महासागरीय अम्लीकरण के प्रभाव
- प्रवाल भित्तियों की हानि
- समुद्री पादपों की हानि
- समुद्री जीवों की हानि
- समुद्री जैव विविधता की हानि
- खाद्य श्रृंखला में बाधा
- मछली और अन्य समुद्री उत्पादों की कमी के कारण स्थानीय अर्थव्यवस्था में कमी
- पर्यटन में कमी
महासागरीय अम्लीकरण के समाधान
- जीवाश्म ईंधन का उपयोग कम करना
- पर्यावरण के अनुकूल ईंधन के उपयोग में वृद्धि करना
- प्रदूषण को कम करने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग
- कठोर नियम बनाना
- आम जन-समूह तक जागरुकता फैलाना
- पर्यावरण के अनुकूल पहल को बढ़ावा देना
- भू-अभियांत्रिकी का उपयोग
No comments:
Post a Comment