Thursday, January 21, 2021

PRE(IAS)Exam-Paper 1st-Sub Topic-Environmental Conventions and Protocols

पर्यावरणीय सम्‍मेलन एवं प्रोटोकॉल

सम्‍मेलन

स्‍थापना वर्ष

उद्देश्‍य

टिप्‍पणी

रामसर सम्‍मेलन

1971

आद्रभूमियों का संरक्षण और दीर्घकालिक उपयोग करना

·         इसे जलपक्षी सम्‍मेलन के नाम से भी जाना जाता है।

·         भारत इस सम्‍मेलन का हिस्‍सा है।

·         वर्तमान में भारत में 42 रामसर स्‍थल हैं।

स्‍टॉकहोम घोषणापत्र

1972

पर्यावरण का अंतर्राष्‍ट्रीय संरक्षण करना

·         UNEP इसका परिणाम है।

वन्‍य पशु एवं वनस्‍पति की लुप्‍तप्राय प्रजातियों के अंतर्राष्‍ट्रीय व्‍यापार पर सम्‍मेलन (CITES)

1973

इनसे प्राप्‍त होने वाले उत्‍पादों अथवा लुप्‍तप्राय प्रजातियों के अंतर्राष्‍ट्रीय वाणिज्यिक व्‍यापार का नियंत्रण अथवा रोकथाम करना

·         इसे वाशिंगटन सम्‍मेलन के नाम से भी जाना जाता है।

·         यह कानूनी रूप से बाध्‍यकारी है।

प्रवासी प्रजातियों का सम्‍मेलन (CMS)

1979

वन्य जीवों की प्रवासी प्रजातियों के संरक्षण पर सम्मेलन

·         बॉन कन्वेंशन के नाम से भी जाना जाता है।

·         यह संयुक्‍त राष्‍ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) के तत्वावधान में है।

नैरोबी घोषणापत्र

1982

सतत विकास को प्राप्‍त करना

·         स्‍टॉकहोम की 10वीं वर्षगांठ

वियना सम्‍मेलन

1985

ओजोन परत का संरक्षण करना

·         इसे कानूनी रूप से अनिवार्य न्‍यूनीकरण लक्ष्‍यों में शामिल नहीं किया            गया है।

मॉंट्रियल प्रोटोकॉल

1987

ओजोन क्षय पदार्थों का नियंत्रण करना

·         यह ओजोन परत के संरक्षण हेतु वियना सम्‍मेलन का प्रोटोकॉल है।

·         सार्वभौमिक संधि (सभी संयुक्‍त राष्‍ट्र देशों द्वारा मंजूर की गई है)

·         कानूनी रूप से अनिवार्य है।

·         केवल ओजोन क्षय पदार्थों को लक्ष्‍य बनाना है (GHG अर्थात                    हाइड्रोफ्लोरो कार्बन नही है)

ब्रंडट्लैंड रिपोर्ट

1987

सतत विकास

·         "सतत विकास" का सिद्धांत दिया है।

पृथ्वी शिखर सम्मेलन/ संयुक्‍त राष्‍ट्र पर्यावरण एवं विकास सम्मेलन (UNCED)/रियो घोषणा

1992

पर्यावरण संरक्षण एवं विकास

·         इसके 27 सिद्धांत थे।

·         हस्ताक्षर के लिए तीन कानूनी रूप से अनिवार्य समझौते किए गए:
          (i) CBD
          (ii) UNFCC
          (iii) UNCCD

एजेंडा 21

1992

सतत विकास

·         यह पृथ्‍वी सम्‍मेलन, 1992 का परिणाम है

·         एजेंडा 21, 21वीं सदी को दर्शाता है।

·         अनिवार्य नहीं है

UNFCCC

1992

ग्‍लोबल वार्मिंग से निपटने के क्रम में ग्रीन हाउस गैसों के उत्‍सर्जन में कमी करना।

·         पृथ्‍वी सम्‍मेलन, 1992 में उत्‍पादित पर्यावरणीय संधि है।

·         सचिवालय: बॉन, जर्मनी

·         कानूनी रूप से अनिवार्य नहीं है

·         इस ढांचे के अंतर्गत क्‍योटो प्रोटाकॉल को सुलझाया गया था।

जैविक विविधता सम्‍मेलन (CBD)

1992

तीन प्रमुख लक्ष्‍य:

1. जैविक विविधता (अथवा जैवविविधता) का संरक्षण

2. इसके घटकों का स्‍थायी उपयोग करना

3. आनुवांशिक संसाधनों से प्राप्‍त होने वाले लाभों की निष्‍पक्ष और न्‍यायसंगत साझेदारी करना

·         कानूनी रूप से अनिवार्य है।

·         अमेरिका ने हस्‍ताक्षर किए लेकिन अभिपुष्‍टि नहीं हुई।

·         CBD के लिए दो प्रोटोकॉल हैं:
          (a) जैवसुरक्षा पर कार्टाजेना प्रोटोकॉल, 2000
          (b) नागोया प्रोटोकॉल (जैवविविधता सहमति), 2010

UNCCD

1994

मरुस्‍थलीकरण का मुकाबला करने के लिए सम्‍मेलन

·         मुख्यालय: बॉन, जर्मनी

·         एकमात्र सम्मेलन जो रियो एजेंडा 21 की सीधी सिफारिशों से हुआ था

·         कानूनन अनिवार्य

·         कनाडा बाहर हो गया

क्‍योटो प्रोटोकॉल (COP 3)

1997

ग्रीनहाउस गैस की मात्रा को कम करके ग्लोबल वार्मिंग से लड़ना

 

  • UNFCC के तहत समझौता हुआ
  • 2005 में लागू हुआ
  • अनुलग्‍नक I देशों के लिए अनिवार्य लक्ष्य
  • प्रोटोकॉल के तहत प्रक्रिया:
    (a) स्वच्छ विकास तंत्र (CDM)
    (b) उत्‍सर्जन व्‍यापार
    (c) संयुक्‍त कार्यान्वयन (JI)
  • यह प्रोटोकॉल निम्नलिखित GHG (अनुलग्नक A) पर लागू होता है:
    (a) कार्बन डाइऑक्साइड (CO2)
    (b) मीथेन (CH4)
    (c) नाइट्रस ऑक्साइड (NO2)
    (d) सल्फर हेक्साफ्लोराइड (SF6)
    (e) हाइड्रोफ्लोरोकार्बन (HFC)
    (f) परफ्लोरोकार्बन (PFC)
  • प्रोटोकॉल आम लेकिन विभेदित उत्‍तरदायित्‍वों के सिद्धांत पर आधारित है।
  • यह विकसित देशों पर वर्तमान उत्सर्जन को कम करने का दायित्व इस आधार पर डालता है कि वे वातावरण में ग्रीनहाउस गैसों के वर्तमान स्तर के लिए ऐतिहासिक रूप से जिम्मेदार हैं।
  • अनुलग्नक I देश: औद्योगिक देश और पारगमिक अर्थव्यवस्थाएं
  • अनुलग्नक II देश: विकसित देश जो विकासशील देशों की लागतों का भुगतान करते हैं
  • गैर-अनुलग्नक I देश: विकासशील देश
  • भारत UNFCC के लिए गैर-अनुलग्नक देश है।
  • दो प्रतिबद्धता अवधि हैं
    (i) 2008 - 2012
    (ii) 2013 - 2020

नोट: दूसरी प्रतिबद्धता अवधि पर वर्ष 2012 में सहमति व्यक्‍त की गई थी, जिसे दोहा प्रोटोकॉल संशोधन के रूप में जाना जाता है।

रॉटरडैम कन्‍वेंशन

1998

अंतर्राष्‍ट्रीय व्यापार में कुछ खतरनाक रसायनों और कीटनाशकों के लिए पूर्व सूचित सहमति प्रक्रिया

·         UN संधि

कार्टाजेना प्रोटोकॉल

2000

जैव सुरक्षा

·         आधुनिक जैव प्रौद्योगिकी के परिणामस्‍वरूप रूपांतरित जीवों द्वारा              उत्पन्न संभावित जोखिमों से जैविक विविधता की रक्षा करना।

स्‍टॉकहोम कन्‍वेंशन

2001

दीर्घस्‍थायी जैविक प्रदूषकों के उत्पादन और उपयोग को खत्म करना या प्रतिबंधित करना

  • संयुक्‍त राष्‍ट्र संधि
  • अमेरिका इस संधि का समर्थक नहीं है
  • अंतर सरकारी रासायनिक सुरक्षा फोरम (IFCS) और अंतर्राष्‍ट्रीय रासायनिक सुरक्षा कार्यक्रम (IPCS) ने एक सूची तैयार की, जिसे डर्टी डोजेन के नाम से जाना जाता है।

 REDD एवं REDD+

2005

विकासशील देशों में वनों की कटाई और वन की कमी से उत्सर्जन में कमी

  • वर्ष 2005 के बाद UNFCC के तहत समझौता हुआ।
  • UN-REDD को वर्ष 2008 में शुरू किया गया था। भारत ने इसमें भाग नहीं लिया।
  • REDDD + (बाली कार्य योजना, 2007, CoP13, में परिभाषित)
  • REDD + का विस्तार हुआ
    (a) दीर्घकालिक वन प्रबंधन
    (b) वनों का संरक्षण
    (c) कार्बन सिंक का संवर्धन

नागोया प्रोटोकॉल

2010

जैविक विविधता पर कन्वेंशन में उनके उपयोग से लेकर आनुवांशिक संसाधनों तक पहुंच और लाभों का उचित और न्यायसंगत साझाकरण

·         यह CBD का पूरक समझौता है।

रियो+20

2012

सतत विकास सम्‍मेलन

·         रियो अर्थ समिट 1992 की 20वीं वर्षगांठ।

पेरिस समझौता (COP 21)

2015

जलवायु परिवर्तन

·         यह 2020 तक लागू होगा।

·         कानूनी रूप से अनिवार्य नहीं है।

लक्ष्य

·         इस शताब्दी वैश्‍विक तापमान में पूर्व-औद्योगिक काल के तापमान                स्तर से 2 डिग्री सेल्सियम से कम की वृद्धि होगी।

·         तापमान में वृद्धि को 5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने का प्रयास।

भारतीय NDC

·         सकल घरेलू उत्पाद का प्रति इकाई ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन - वर्ष                2030 तक 2005 के स्तर से 33 से 35 प्रतिशत नीचे।

·         वर्ष 2030 में इसकी 40 प्रतिशत ऊर्जा गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से              उत्पन्न होगी,

·         इसके वन आच्‍छादन में वृद्धि ताकि वर्ष 2030 तक 2.5 से 3                  बिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड के बराबर एक अतिरिक्‍त कार्बन            सिंक बनाया जाए।

नोट: हाल ही में अमेरिका ने इसे नाम वापस ले लिया है।

किगाली संशोधन

2016

ओजोन परत क्षय को कम करना

  • यह वर्ष 1987 मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल में संशोधन करता है।
  • इसका उद्देश्य वर्ष 2045 के अंत तक हाइड्रोफ्लोरोकार्बन (HFC) को 80-85 प्रतिशत तक कम करना है।

·         यह वर्ष 2019 से सदस्य देशों के लिए अनिवार्य होगा।


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