अम्लीय वर्षा एवं उसके कारण, प्रभाव, समाधान
अम्लीय वर्षा क्या है?
- अम्लीय वर्षा वर्षण का वह रूप (कोहरा या हिमपात) है जिसमें सल्फ्यूरिक या नाइट्रिक अम्ल जैसे अम्लों की अत्यधिक मात्रा पाई जाती है।
- 5 से कम pH मान वाले वर्षा के जल को अम्लीय वर्षा कहा जाता है।
- यह पौधों, जलीय जीवों और मनुष्यों के लिए हानिकारक होती है।
- अम्लीय वर्षा के लिए मुख्य रूप से उत्तरदायी दो प्रमुख गैसें – सल्फर डाइऑक्साइड (SO2) और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2) हैं।
- जब वायुमंडल में अत्यधिक मात्रा में उपस्थित SO2 और NO2 वर्षा के जल के साथ मिश्रित होते हैं या अभिक्रिया करते हैं, तो वे क्रमशः सल्फ्यूरिक अम्ल और नाइट्रिक अम्ल का निर्माण करते हैं। ये अम्ल वर्षा के pH मान को5 से कम कर देते हैं और वर्षो को अम्लीय बना देते हैं।

अम्लीय वर्षा के कारण
अम्लीय वर्षा के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं: -
- जीवाश्म ईंधन का दहन
- ऑटोमोबाइल से निकलने वाला धुआं
- ज्वालामुखी विस्फोट
अम्लीय वर्षा के स्रोत
(a) सल्फर
प्राकृतिक स्रोत:
- समुद्र और महासागर,
- ज्वालामुखी विस्फोट,
- मृदा में जैविक अभिक्रियाएं
मानवजनित स्रोत:
- कोयले का दहन
- पेट्रोलियम उत्पाद
- आयरन सल्फाइड अयस्कों का प्रगलन
- सल्फ्यूरिक अम्ल का औद्योगिक उत्पादन
(b) नाइट्रोजन
प्राकृतिक स्रोत:
- बिजली,
- ज्वालामुखी विस्फोट और
- जैविक गतिविधियां
मानवजनित स्रोत:
- वनों में आग
- तेल, कोयला और गैस का दहन
(c) फॉर्मिक अम्ल
(d) अन्य अम्ल
अम्लीय वर्षा के प्रभाव
- पौधों पर प्रभाव – अम्लीय वर्षा पौधों की मोम आलेपित कोटिंग को नष्ट कर देती है जिससे वनस्पति की हानि होती है।
- मृदा पर प्रभाव – अम्लीय वर्षा मृदा को अम्लीय और बंजर बनाती है।
- जलीय जीवों पर प्रभाव – अम्लीय वर्षा जल निकायों के PH मान को 5 से कम करके उन्हें अम्लीय बनाती है। जिसके फलस्वरूप समुद्री जीवों की मृत्यु हो जाती है।
- स्मारकों और इमारतों पर प्रभाव – अम्लीय वर्षा बाहरी दीवार पर संगमरमर और अन्य तत्वों के साथ अभिक्रिया करके उनका रंग फीका और पीला (उदाहरण ताजमहल) बनाती है।
- इससे सतह और भूमिगत जल भी प्रभावित होते हैं।
अम्लीय वर्षा का समाधान
- जीवाश्म ईंधन के दहन को कम करना।
- ऑटोमोबाइल उद्योग में पर्यावरण के अनुकूल उपायों का उपयोग करना।
- वृक्षारोपण करना।
- विभिन्न माध्यमों से जागरूकता फैलाना।
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