Thursday, January 21, 2021

PRE(IAS)Exam-Paper 1st-Sub Topic-Basic Terminology on Environment & Ecology Part-2

पर्यावरण और पारिस्थितिकी विज्ञान की मूलभूत शब्दावली (भाग – 2)

  1. खाद्य जाल : यह अंतरनिर्भर और अंतरसंबंधित भोजन श्रृंखला की एक जटिल श्रृंखला है। इसे उपभोक्ता-संसाधन तंत्र के रूप में भी जानते हैं।
  2. खाद्य पिरामिड : किसी पारिस्थितिकी तंत्र के पोषित स्तर की उर्ध्वाधर व्यवस्था को खाद्य पिरामिड कहा जाता है।
  3. गैसोहॉल : गैसोलीन + एल्कोहॉल को गैसोलीन कहते हैं। इसका प्रयोग वाहनों में ईंधन के रूप में किया जाता है।
  4. वैश्विक ऊष्मन (Global Warming) : पृथ्वी पर ग्रीन हाउस गैसों की सांद्रता में वृद्धि के कारण पृथ्वी के वार्षिक तापमान में निम्न, सतत और अनुत्क्रमणीय वृद्धि को वैश्विक ऊष्मन कहते हैं।
  5. हरितग्रह प्रभाव (Greenhouse Effect: पृथ्वी के अंदर दीर्घ तरंगदैर्ध्य वाले स्थानीय विकिरण के अवशोषण के कारण इसके अंदर का तापमान बाहर की तुलना में अधिक गर्म हो जाता है। यह ग्रीन हाउस गैसों के कारण होता है।
  6. ग्रीनहाउस गैसें (Greenhouse Gas): CO2, CH4, CFC जैसी गैसें जो आने वाले सौर विकिरण के लिए पारदर्शी लेकिन जाने वाले दीर्घ तरंगदैर्ध्य विकिरण के लिए अपारदर्शी होता है, जिससे वायुमंडल में हरितग्रह प्रभाव होता है। इन्हें हरितग्रह गैसें कहते हैं।
  7. सकल प्राथमिक उत्पाद : किसी पारिस्थितिकी तंत्र के एक समयावधि के दौरान संपूर्ण बायोमास और पौधों द्वारा उत्पादित ऊर्जा को सकल प्राथमिक उत्पादकता कहते हैँ।
  8. आवास : वह स्थान जहां जीव रहते हैं। यह एक विशेष प्रकार की पर्यावरणीय स्थितियों को दर्शाता है।
  9. शाकाहारी : वे जीव जो अपने भोजन और ऊर्जा के लिए पौधों पर सीधे निर्भर रहते हैं, उन्हें शाकाहारी जीव कहते हैं।
  10. परपोषित जीव : वे जीव जो स्वयं अपने भोजन का निर्माण नहीं कर पाते हैं और भोजन तथा ऊर्जा के लिए पौधों पर प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से निर्भर होते हैं।
  11. आनुवांशिकता : एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में जाने वाली प्रवृत्तियां तथा गुण आनुवांशिक लक्षण कहलाते हैं।
  12. होमोस्टैसिस : यह गतिशील साम्यावस्था के साथ स्थायित्व की स्थिति है जो कि जीवों द्वारा बनाकर रखी जाती है। यह सभी तंत्रों के सर्वश्रेष्ठ कार्य करने के लिए जिम्मेदार है।
  13. ह्युमस : यह मृदा के ऊपरी भाग में पाया जाने वाला गहरे रंग का जैविक पदार्थ है जोकि मृत पत्तियों और अन्य जीव-जंतु पदार्थों के सूक्ष्मजीवों द्वारा आंशिक अपघटन से बना है।
  14. हाइड्रार्क उत्तरवर्तन – अधिक नमीयुक्त क्षेत्रों में पौधों का उत्तरवर्तन जहां उत्तरवर्तन श्रृंखला हाइड्रिक से मेसिक स्थितियों में प्रगति करती है।
  15. स्थानीय संरक्षण : पौधों और जंतुओं का उनके प्राकृतिक आवास में सरंक्षण।
  16. कीटनाशक : कृषि उपज को नुकसान पहुंचाने वाले कीड़ों को मारने के लिए प्रयोग किए जाने वाले रसायन हैं।
  17. लोटिक पारिस्थितिकी तंत्र : गतिशील जल के साथ ताजे पानी का पारिस्थितिकी तंत्र।
  18. लेंटिक पारिस्थितिकी तंत्र : स्थिर जल के साथ ताजे पानी का पारिस्थितिकी तंत्र।
  19. लिथोस्फीयर (स्थलमंडल) : पृथ्वी की सबसे ऊपरी पर्त जिसमें क्रस्ट (भूपर्पटी) और ऊपरी मैंटल भाग शामिल है।
  20. परस्परवाद : यह जीवों के बीच एक प्रतिकात्मक संबंध है जिसमें दोनों लाभान्वित होते हैं।
  21. नाइट्रोजन स्थिरीकरण : यह वायुमंडलीय नाइट्रोजन को ऐसे रूप में बदलने की प्रक्रिया है जिसे मृदा द्वारा अवशोषित किया जा सके, जैसे अमोनिया को नाइट्रोजन स्थिरीकरण की मदद से अवशोषित किया जाता है।
  22. कुल प्राथमिक उत्पादकता (NPP) : यह जीवों को अपने भोजन और ऊर्जा के लिए उपलब्ध एन.पी.पी. की माप है। इसकी गणना सकल प्राथमिक उत्पादकता से पौधों द्वारा श्वसन को घटाकर की जाती है।
    एन.पी.पी. = जी.पी.पी. – ली गई ऊर्जा
  23. सर्वाहारी : जंतु जो भोजन और ऊर्जा जरूरतों के लिए सभी (पौधे एवं जंतु दोनों) का भक्षण करते हैं, उन्हें सर्वाहारी कहते हैं। ये तृतीय उपभोक्ता होते हैं।
  24. PAN (पेरोक्सिएसिल नाइट्रेट) : यह फोटोकेमिकल स्मॉग में निर्मित एक द्वितीयक प्रदूषक है।
  25. सर्वव्यापी जैवविविधता : पौधों और जंतुओं की प्रजातियां और उपप्रजातियां जोकि एक बड़े भाग तथा विविध भौगोलिक क्षेत्रों में फैली होती हैं सर्वव्यापी जैवविविधता का निर्माण करती है।
  26. निलंबित कण : वायु में निलंबित कण (ठोस अथवा द्रव) होते हैं।
  27. पराजीविता : एक प्रकार का सहसंबंध जिसमें एक जीव को नुकसान और दूसरे जीव को लाभ होता है। उदाहरण : मानव यकृत कृमि एक ट्रिमाटोड परजीवी है।
  28. फाइटोप्लैंकटन : समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र के प्रमुख उत्पादक जोकि पानी की सतह पर तैरते रहते हैं, फाइटोप्लैंकटन जीव होते हैं। ये पराबैंगनी प्रभाव के प्रति अत्यधिक संवेदनशील होते हैं।
  29. पायोनीर प्रजाती : वे प्रजातियां जोकि किसी खाली क्षेत्र पर हमला करती हैं।
  30. पोलर वोरटैक्स – वायुमंडल में बादल।
  31. उत्तरजीविता की प्रक्रिया : किसी पारिस्थितिकी तंत्र में पादप समुदाय में एक क्रमिक, दिशात्मक परिवर्तन की प्रक्रिया को उत्तरजीविता कहते हैं। यहां उत्पादकों का एक समूह दूसरे उत्पादक समूह द्वारा परिवर्तित हो जाता है।
  32. प्राथमिक प्रदूषक : वे प्रदूषक दो वायुमंडल में सीधे निर्मित अथवा मुक्त होते हैं, जैसे NO2 और SO2.
  33. द्वितीयक प्रदूषक : वे प्रदूषक जो प्राथमिक प्रदूषकों से मिलकर बनते हैं, द्वितीयक प्रदूषक कहलाते हैं, जैसे PAN, नाइट्रिक अम्ल इत्यादि।
  34. सेरी : समुदायों का अनुक्रम जो किसी दिए गए क्षेत्र में निरंतर परिवर्तित होती जाती हैं।
  35. सैप्रोट्रॉफ्स : सैप्रोट्रॉफ्स वे जीव हैं जो अपनी भोजन और ऊर्जा जरूरतों को मृत कार्बनिक पदार्थों अथवा डेट्रियस को अपघटित करके प्राप्त करते हैं।
  36. समुद्री जलस्तर में वृद्धि : माध्य समुद्री जल स्तर में धीमी, सतत और अनुक्रमणीय वृद्धि, तटों और द्वीपों का हमेशा के लिए जलमग्न हो जाने को समुद्री जलस्तर वृद्धि के रूप में परिभाषित करते हैं।
  37. स्मॉग : स्मॉग एक प्रकार की धुंध है जिसमें धुंआ होता है। स्मॉग = धुंआ + कोहरा।
  38. प्रजातियां : जीवों का समूह जो लंबे समय और अंतराल के बाद अंतरप्रजनन कर सकता है।
  39. खड़ी फसलें : खाद्य पिरामिड में किसी खास पोषण स्तर का जीवित द्रव्यमान।
  40. स्टैण्डिंग स्टेट : मृदा में किसी दिए गए समय में उपस्थित पोषक तत्त्वों जैसे नाइट्रोजन, फास्फोरस आदि को स्टैण्डिंग स्टेट कहा जाता है।
  41. स्थिर-अवस्था गतिशील साम्यावस्था : यह संतुलन के साथ पारिस्थितिकी स्थायित्व का एक और नाम है।
  42. स्टेनोफैजिक : पौधे और जंतु जिनमें भोजन के लिए सहनशीलता सीमा बहुत संकीर्ण है।
  43. स्टेनोहाइड्रिक : वे पौधे और जंतु जिनमें पानी के लिए सहनशीलता सीमा बहुत संकीर्ण होती है।
  44. स्टेनोथर्मिक : वे पौधे और जंतु जिनमें तापमान के लिए सहनशीलता सीमा बहुत संकीर्ण होता है।
  45. स्ट्रैटोस्फीयर : यह 20 कि.मी. से 50 कि.मी. सीमाक्षेत्र के अंदर पायी जाने वाली वायुमण्डलीय पर्त है। इसमें ओजोन पर्त पायी जाती है (जो हानिकारक पराबैंगनी विकिरणों से रक्षा करती है)।
  46. ट्रोपोस्फीयर : यह पृथ्वी की सतह से 20 कि.मी. की ऊंचाई तक वायुमण्डल की सबसे निचली पर्त है। यह पर्त सभी मौसम एवं जलवायु स्थितियों के लिए जिम्मेदार वायु मिश्रण का क्षेत्र है।
  47. वनस्पतिक चरमोत्कर्ष: उत्तरवर्तन की क्रमिक और दिशात्मक प्रक्रिया का अंतिम उत्पाद को वनस्पतिक चरमोत्कर्ष कहते हैं जिसे वनों के रूप में बड़े पेड़ों के प्रभुत्व वाले पारिस्थितिकी तंत्र का अंत्य अभिव्यक्ति है।  
  48. ज़ीरार्क उत्तरवर्तन : सूखे क्षेत्रों में पौधों का उत्तरवर्तन जहां उत्तरवर्तन श्रृंखला जेरिक से मेसिक स्थितियों में प्रगति करती है।
  49. जीरोफाइट्स : शुष्क और अर्ध-शुष्क क्षेत्रों से जुड़े पौधे हैं। यहां पत्तियां पानी को संरक्षित और बचाकर रखने के लिए कांटे में बदल जाते हैं।
  50. जूप्लैंकटन : समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र में प्राथमिक उपभोक्ता हैं।


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