Wednesday, January 20, 2021

PRE(IAS)Exam-Paper 1st-Sub Topic- Balance of Payment- Current Account Deficit

बैलेंस ऑफ़ पेमेंट

परिचय

  • अंतर्राष्‍ट्रीय मुद्रा कोष (आई.एम.एफ) ने भुगतान संतुलन (बी.ओ.पी) को एक सांख्यिकीय विवरण के रूप में परिभाषित किया है जो एक विशिष्‍ट समयावधि में एक स्‍थान से दूसरे स्‍थान के बीच आर्थिक लेन-देन को सारांशित करता है।
  • इस प्रकार, बी.ओ.पी में सभी प्रकार के लेन-देन शामिल हैं-
  • (a) एक अर्थव्‍यवस्‍था और बाकी दुनिया के बीच माल, सेवाओं और आय का लेन-देन
    (b) उस अर्थव्‍यवस्‍था के मौद्रिक स्‍वर्ण, स्‍पेशल ड्राइंग राइट्स (एस.डी.आर) का बाकी दुनिया में वित्‍तीय दावों और देनदारियों में स्‍वामित्‍व और अन्‍य परिवर्तनों में परिवर्तन, और
    (c) अप्रतिदत्‍त हस्‍तांतरण (unrequited transfers)- पैसे का हस्तांतरण जिसमें बदले में कुछ भी उम्मीद नहीं हैं|
    उदाहरण- विदेशी सहायता, ऋण क्षमा आदि
  • इन लेन-देनों को निम्‍न प्रकार से वर्गीकृत किया गया है-
    (i) चालू खाता
    (ii) पूंजी खाता और वित्‍तीय खाता
  • भुगतान संतुलन मुख्‍यत:, एक देश के निवासियों द्वारा किए गए सभी अंतर्राष्‍ट्रीय वित्‍तीय लेन-देन का रिकॉर्ड है।
  • भुगतान संतुलन हमें इस बात से अवगत कराता है कि देश में बचत कितनी है और घाटा कितना है। इससे यह भी ज्ञात होता है कि देश अपने विकास के लिए पर्याप्‍त आर्थिक उत्‍पादन कर रहा है या नहीं।

जब बी.ओ.पी घाटे में है, तो इसका अर्थ है-

  • भुगतान संतुलन में घाटे का अर्थ है कि देश अपने निर्यात से अधिक समान, सेवाओं और पूंजी का आयात करता है।
  • देश को अपने आयात के भुगतान के लिए अन्‍य देशों से उधार लेना चाहिए।
  • अल्‍पावधि के लिए, यह आर्थिक विकास में वृद्धि करता है। लेकिन, दीर्घावधि में, देश विश्‍व के आर्थिक उत्‍पादन का निर्माता न होकर निवल उपभोक्‍ता बन जाता है।
  • देश भविष्‍य में, विकास में निवेश करने के बजाय उपभोग के भुगतान के लिए कर्ज में डूब जाता है। यदि यह घाटा लंबी अवधि के लिए जारी रहता है, तो देश कर्ज में बुरी तरह फंस जाता है और अपने कर्ज को चुकाने के लिए अपनी संपत्‍ति बेंच सकता है।

जब बी.ओ.पी लाभ में है, तो इसका अर्थ है-

  • भुगतान संतुलन के लाभ में होने का अर्थ है कि देश का निर्यात उसके आयात से अधिक है।
  • देश अपनी आमदनी से अधिक की बचत करता है। यह उसकी अतिरिक्‍त आय के साथ पूंजी निर्माण में वृद्धि करता है। यहां तक कि वे देश के बाहर भी ऋण दे सकते हैं।
  • लंबी अवधि के लिए, देश निर्यात-आ‍धारित वृद्धि पर अधिक निर्भर करता है। उसे अपने निवासियों को अधिक खर्च करने के लिए प्रोत्‍साहित करना चाहिए। एक बड़ा घरेलू बाजार, विनिमय दर के उतार-चढ़ाव से देश की रक्षा करेगा।

बी.ओ.पी के घटक

  • बी.ओ.पी को दो प्रकार के खातों में विभाजित किया जा सकता है-
    1. चालू खाता
    2. पूंजी और वित्‍तीय खाता

चालू खाता (Current Account)

  • चालू खाता एक अर्थव्‍यवस्‍था और बाकी दुनिया के बीच के मूल संसाधनों (माल, सेवाओं, आय और हस्‍तांतरण) को मापता है।
  • चालू खाते को आगे व्‍यापारिक खाता (merchandise account) और इनविजिबल खाता (invisibles account) में विभाजित किया जा सकता है।
  • व्‍यापारिक खाते में माल के आयात और निर्यात से संबंधित लेन-देन शामिल हैं।
  • इनविजिबल खाते में, तीन व्‍यापक श्रेणियां हैं-
    1. गैर-कारक सेवाएं जैसे कि यात्रा, परिवहन, बीमा और विविध सेवाएं-
    2. हस्‍तांतरण जिसमें विनिमय में कोई मुद्रा शामिल नहीं है, और
    3. आय जिसमें कर्मचारियों के मुआवजे और निवेश आय शामिल है।

चालू खाता घाटा (करंट अकाउंट डेफिसिट)

  • चालू खाता घाटा (सीएडी) = व्यापार घाटा + विदेश से शुद्ध आय + नेट स्थानांतरण
    नोट: यहां व्यापार घाटा = निर्यात-आयात
  • इसलिए हम यहां देख सकते हैं कि व्यापार घाटा और चालू खाता घाटा दोनों अलग हैं और व्यापार घाटा वर्तमान खाता घाटा का एक घटक है।

पूंजी और वित्‍तीय खाता

  • पूंजी और वित्‍तीय खाता, दुनिया के बाकी‍ हिस्‍सों में वित्‍तीय दावों में शुद्ध परिवर्तन को दर्शाता है-
    नोट-
    पिछले भुगतान संतुलन पूंजी खाते को, भुगतान संतुलन मैनुअल (आई.एम.एफ) के पांचवें संस्‍करण के अनुसार पूंजी और वित्‍तीय खाते के रूप में परिवर्तित कर दिया गया है।
  • पूंजी खाते को मुख्‍य रूप से दो श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है-
    1. गैर-ऋण प्रवाह जैसे प्रत्‍यक्ष और पोर्टफोलियो निवेश
    2. ऋण प्रवाह जैसे बाहरी सहायता, वाणिज्‍यिक उधार, गैर-निवासी जमा, आदि
  • वित्‍तीय खाता, बाहरी वित्‍तीय संपत्‍ति और देनदारियों में एक अर्थव्‍यवस्‍था के लेन-देन का रिकॉर्ड रखता है।
  • सभी घटक, निवेश के प्रकार या कार्यात्‍मक अवयव के अनुसार वर्गीकृत किए जाते हैं-
    1. प्रत्‍यक्ष निवेश
    2. पोर्टफोलियो निवेश
    3. अन्‍य निवेश
    4. आरक्षित संपत्‍ति
  • चालू खाते और पूंजी खाते का योग, समग्र शेष धनराशि को दर्शाता है, जो लाभ या घाटे में हो सकती है। समग्र शेष धनराशि में परिवर्तन, देश के अंतर्राष्‍ट्रीय रिजर्व में दिखाई पड़ता है।

भारत का बैलेंस ऑफ़ पेमेंट- ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्‍य

  • भारत का बी.ओ.पी समय-समय पर हमारे विकास के उदाहरण और बाहरी भय (exogenous shocks) दोनों परिवर्तनों को दर्शाता है।
  • 60 वर्षों की अवधि में, 1951-52 से 2011-12, छह घटनाओं ने हमारे बी.ओ.पी पर बड़ा प्रभाव छोड़ा है-
  • वर्ष 1966 में अवमूल्‍यन;
  • वर्ष 1973 और वर्ष 1980 में तेल के मूल्‍य में पहला और दूसरा झटका
  • वर्ष 1991 का बाह्य भुगतान संकट;
  • वर्ष 1997 के पूर्व एशियाई संकट;
  • वर्ष 2000 का वाई.टू.के इवेंट
  • वर्ष 2008 का वैश्‍विक वित्‍तीय संकट और उसके बाद का यूरो जोन संकट 


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