पाल, प्रतिहार और राष्ट्रकूटों का त्रिपक्षीय संघर्ष
इन साम्राज्यों के मध्य कन्नौज के नियंत्रण को लेकर एक प्रमुख संघर्ष था जो गंगा के उपरी उपजाऊ मैदानों पर उनके नियंत्रण का कारण बना।
पाल (Palas)
- इन्होने पूर्वी भारत पर अपना प्रभुत्व जमाया।
- इसकी स्थापना राजा गोपाल ने 750 ईसवीं में की और बाद में इनका स्थान धर्मपाल ने ले लिया। पाल शासक उत्तर में प्रतिहारों और राष्ट्रकूटों द्वारा पराजित हुए।
- ये बौद्ध धर्म के अनुयायी थे। धर्मपाल ने नालंदा विश्वविद्यालय के विस्तार के लिए 200 गांवों को मिलाकर उसका जीर्णोद्धार कराया। इन्होने विक्रमशिला विश्वविद्यालय की भी स्थापना की और बौद्ध भिक्षुओं के लिए कई विहार भी बनवाए।
- उन्होंने दक्षिण-पूर्व एशिया के साथ व्यापारिक और सांस्कृतिक सम्बन्ध स्थापित किये। शैलेन्द्र वंश ने कई राजदूतों को भेजा और नालंदा के निकट मठ की स्थापना के लिए स्वीकृति भी मांगी।
प्रतिहार (Pratiharas)
- इन्होने पश्चिमी भारत और ऊपरी गंगा घाटी पर प्रभुत्व जमाया।
- वास्तविक संस्थापक और प्रमुख शासक राजा भोज थे जिन्होने आदि वाराह की भी उपाधि ग्रहण की थी।
- एक बगदादी यात्री, अल-मसूदी, ने प्रतिहारों के समय में 915-916 ईसवी के मध्य भारत की यात्रा की थी।
- संस्कृत के महाकवि और नाटककार राजशेखर महिपाल के दरबार में थे।
- राष्ट्रकूट शासकों इंद्र III और कृष्ण III के आक्रमणों के कारण प्रतिहार शासन का तेजी से विघटन हुआ।
राष्ट्रकूट (Rashtrakutas)
- इन्होंने दक्कन और उत्तर एवं दक्षिण भारत के कुछ क्षेत्रों पर शासन किया। राज्य की स्थापना दंति दुर्ग ने की और इसने मालखेड़ को अपनी राजधानी बनाया।
- इस वंश के महान शासक अमोघवर्ष था। इसे कन्नड़ भाषा में प्रथम काव्य पुस्तक की रचना का श्रेय दिया जाता है। उसने राजधानी मान्यखेत का भी निर्माण कराया।
- इनका पल्लवों, चोलों और दक्षिण में चालुक्यों के साथ निरंतर संघर्ष जारी था।
- कृष्ण प्रथम में ऐलोरा में चट्टानों को काटकर शिव का मंदिर बनाया।
- इनकी सहिष्णु धार्मिक नीति के कारण विदेशी व्यापार में वृद्धि हुई।
राजनैतिक विचार और संगठन
- राजा प्रशासन का केन्द्र बिंदु था और उसका पद वंशानुगत था।
- राजमहल – अनंतपुर
- पालों और प्रतिहारों की शासनव्यवस्था
- भुक्ति – उपारिक के अधीन प्रांत
- मंडल या वैश्य – विषयपति के अधीन जिले
- ग्राम समूह – सामंत या भोजपति
- पट्टल – छोटी इकाई
- राष्ट्रकूटों में प्रशासन
- राष्ट्र – राष्ट्रपति के अधीन प्रांत
- विषय – जिला
- भुक्ति – छोटी इकाई
- ग्राम – महाजन – गांव का प्रधान
- कोतवाल – नियम और कानून बनाए रखने की जिम्मेदारी
- नाड-गौवनाड/देसा-ग्रामाकूट – दक्कन में वंशानुगत राजस्व अधिकारी
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