Friday, November 6, 2020

PRE(IAS)Exam - 1st Paper - Sub topic-Vijayanagar Empire & Bahmani kingdom

 

विजयनगर एवं बहमनी साम्राज्य

विजयनगर साम्राज्य

उत्तरी भारत के विघटन के दौरान, विजयनगर एवं बहमनी साम्राज्य ने विंध्या के दक्षिणी भाग के ढक्‍कन क्षेत्र में स्थिरता की लम्बी अवधि प्रदान की।

संगम राजवंश

संगम राजवंश की खोज हरिहर एवं बुक्का ने की थी, जो 1336 में वारंगल के काकतियों के सामंतवादी थे।

वर्ष

शासक

महत्ता

1336 – 1356

हरिहर I

विजयनगर साम्राज्य की नींव रखी

1356 –1379

बुक्का I

विद्यानगर शहर को ओर शक्तिशाली बनाया एवं इसका नाम परिवर्तित करके विजयनगर रखा

1379 – 1404

हरिहर II

बुक्का I का पुत्र

1406 – 1422

देव राय I

1) तुंगभद्रा के आर-पार एक बाँध का निर्माण किया

2) निकोलो डे कोंटी (Nicolo de Conti) ने विजयनगर का भ्रमण किया

3) सेना में मुस्लिम घुड़सवार एवं धनुर्धारियों का प्रेरण आरम्भ हो गया

1423 – 1446

देव राय II

1) उन्हें प्रौढ़ (praudh) देव राय कहा जाता था

2) उनके शिलालेखों को गजेबतेकारा (Gajabetekara) शीर्षक दिया गया

3) राजसभा के कवि दिन्दिमा (Dindima)  थे

4) पारसी यात्री, शारुख के राजदूत अब्दुर रज्जाक ने विजयनगर का भ्रमण किया।

सुलुवा राजवंश

वर्ष

शासक

महत्ता

1486 – 1491

सुलुवा नरसिम्‍हा

सुलुवा राजवंश के प्रवर्तक

1491

तिरुमल नरसिम्‍हा

नारासा नायक के शासनकाल के दौरान नाबालिग/अवयस्क  

1491 – 1505

इम्मादी नरसिम्‍हा

उनके शासनकाल के दौरान वास्को-डी-गामा कालीकट (calicut) में उतरे

तुलुव राजवंश

वर्ष

शासक

महत्ता

1505 – 1509

वीर नरसिम्‍हा

नारासा नायक का पुत्र, इम्मादी नरसिम्‍हा की हत्या के बाद राजा बन गया

1509 – 1529

कृष्ण देव राय

1)      उन्होंने आंतरिक-नियमों की पुनर्स्थापना की और विजयनगर के प्राचीन इलाकों में सुधार किया जिन पर अन्य शक्तियों द्वारा हमला किया गया था

2)      स्थापत्य: उन्होंने विजयमहल, विट्ठल स्वामी मंदिर एवं हजारा महल का निर्माण किया।

3)      विदेशी यात्री: ड्यूआर्टे बारबोसा (Duarte Barbosa) एवं डोमिनीगोपेस (DominigoPaes) वे पुर्तगाली थे जिन्होंने विजयनगर साम्राज्य का भ्रमण किया

4)      अष्टदिग्गज: पेद्दना, तिम्माया, भट्टमूर्ति, धुर्जती, मल्लान, राजू रामचंद्र, सुरोना एवं तेनाली रामकृष्ण

5)      उन्होंने पुर्तगाली राज्यपाल अनबुक्‍यूरकी (Albuquerque) के साथ मैत्रीपूर्ण सम्बन्ध बनाए रखे

6)      उन्हें यवनराजा स्थापनाचार्यअभिनव भोजआंध्र पितामह इत्यादि शीर्षक दिए गए

7)      साहित्य: उन्होंने अमुक्तामलायदाराजनीती पर तेलुगु कार्य एवं जाम्बवती कल्याण संस्कृत नाट्य की रचना की

1529 – 1542

अचुत्य देव राय

फरनाओ नुनिज, एक पुर्तगाली अश्व व्यापारी ने विजयनगर का भ्रमण किया

1542

वेंकट I

राम राजा ने वास्तविक शक्ति का प्रयोग किया

1543 – 1576

सदाशिव राय

तालीकोटा का युद्ध 1565 में लड़ा गया जिसमें बहमनी साम्राज्य के पांच साम्राज्य विजयनगर के विरुद्ध लड़े और विजयनगर को कुचल कर परास्त कर, राम राजा को अंजाम दिया और शहर को लूटकर इसका पूर्ण रूप से विनाश कर दिया।

सीजर फ्रेडरिक (Caesar Frederick), एक पुर्तगाली यात्री ने विजयनगर का भ्रमण किया

अरवीदु राजवंश (1570 – 1650 ई.पू.)

इस अवधि के दौरान तिरुमल राय ने सदाशिव राय के नाम पर शासन किया। उन्होंने अपनी राजधानी को विजयनगर से पेनुगोंदा में स्थानान्तरित किया।

विजयनगर साम्राज्य में शासन प्रबंधन

  • प्रादेशिक विभाजन
    1. राज्य या मंडलम – प्रांत
    2. नाडू – जिला
    3. स्थल – उप-जिला
    4. ग्राम – गाँव
  • वंशानुगत नायकशिप के विकास के कारण चोल के गाँव का स्व-सरकारी नियम काफी कमजोर हो गया।
  • गाँव के मामलों का संचालन करने हेतु अयंगर प्रणाली नामक 12 कार्यकर्ताओं का एक समूह विकसित किया गया।
  • पगोड़ास /वराहस – विजयनगर में जारी किए गए स्वर्ण सिक्के
  • विजयनगर एक केंद्रीकृत साम्राज्य की बजाय एक संघाध्यक्ष था जिसमें स्थानीय गवर्नर के पास पर्याप्त स्वायत्तता थी।
  • अमराम – स्थायी राजस्व वाले इलाकों को सैन्य प्रमुखों को दिया गया जिसे पलैयागर (Palaiyagar) या नायक (Nayaks) कहा जाता था और उन्हें राज्य की सेवा हेतु निश्चित संख्या में घोड़े, हाथी एवं पदयात्री सिपाही रखने होते थे।
  • शहरी जीवन विशेष रूप से मंदिरों के आस-पास विकसित हुआ।

मंदिर स्थापत्य

  • उनके मंदिर स्थापत्यों में चालुक्यों, होयसाला, पंड्या एवं चोल शैली का एक जीवंत संयोजन था।
  • प्रोविदा शैली को विजयनगर में विकसित किया गया जिसमें बड़ी संख्या में स्तम्भ एवं घाट थे। उठते हुए मंचों के साथ मंदिरों में अम्‍मान तीर्थस्थल सहित मंडप बनाए गए।
  • विजयनगर के मंदिरों की दीवारों पर रामायण एवं महाभारत की कथाएँ लिखी हुई थी।
  • महत्वपूर्ण मंदिर निम्‍न हैं :
    1. विट्ठलस्वामी एवं हजारा राम मंदिर – हम्पी
    2. तदापत्री एवं पार्वती मंदिर – चिदम्बरम
    3. वरदराजा एवं एकम्बर्नाथ मंदिर – कांचीपुरम

बहमनी साम्राज्य

  • बहमनी साम्राज्य उत्तर में स्थित था जो कि विजयनगर साम्राज्य हेतु हावी प्रतिद्वंदी के रूप में कार्यरत था।
  • इसकी खोज एक अफगानी, अलाउद्दीन हसन द्वारा 1347 में की गई थी।
  • विजयनगर एवं बहमनी साम्राज्य तुंगभद्रा दोआब, कृष्णा-गोदावरी मुख-भूमि और मराठवाडा राष्ट्र के लिए भिड़ गए।
  • पहली बार, उनके युद्ध में तोपों के प्रयोग के बारे में सुनने में आया। 1347 एवं 1425 के बीच बहमनी राजधानी को हसनबाद (गुलबर्ग) कहा जाता था, जब इसे मुहम्मदाबाद(बीदर) की ओर ले जाया गया था।

वर्ष

शासक

महत्ता

1347 – 1358

अलाउद्दीन हसन बहमन शाह

इन्‍हें हसन गंगू के रूप में भी जाना जाता है, जिसने गुलबर्ग राजधानी सहित बहमनी राज्य की खोज की।

1397 – 1422

तजुद्दीन फिरोज शाह

1)      इन्‍होंने उत्तर में ढ़क्‍कन सल्तनत के इनकार के कारण ढ़क्‍कन को भारत के संस्कृति केंद्र के रूप में बनाने का निश्चय किया

2)      उसने चाहुल एवं दाभोल के बन्दरगाहों को आरम्भ किया

3)      उसने प्रशासन में बड़े पैमाने पर हिन्दुओं को शामिल किया

4)      उसने खगोल-विज्ञान की खोज को प्रोत्साहित किया और दौलताबाद के निकट एक वैधशाला बनाई

1422 – 1435

अहमद शाह

1)      अंतिम महान शासक जिसने राजधानी को गुलबर्ग से बीदर की ओर स्थानांतरित किया।

2)      सूफी गेसुदाराज़ के साथ उसके सहयोग हेतु उसे वाली कहा जाता था।

 

1463 – 1482

महमूद गवान

1)      उसे मालिक-उल-तुज्जर का शीर्षक दिया गया और वह सुल्तान मुहम्मद शाह III लश्करी का प्रधानमंत्री था।

2)      उसके सैन्य अभियान ने विजयनगर साम्राज्य को कमजोर कर दिया। गोवा एवं दाभोल बन्दरगाहों की हानि से विजयनगर साम्राज्य को गम्भीर झटका लगा।

3)      उसने राज्य को 8 प्रांतों या तरफों, प्रत्येक का निरिक्षण एक तरफदार द्वारा किया जाता था, में विभाजित किया।

4)      खलिसा भूमि को सुलतान के खर्चों हेतु अलग रखा गया था।

5)      उसने बीदर में एक शानदार मदरसा बनाया।

संक्षिप्तिकरण:  

  • रईसों के बीच पार्टी विवाद के कारण पुराने एवं नए लोगों या डेकनिस (deccanis)एवं अफाकिस (Afaqis)  के बीच विभाजन हुआ।
  • उन्होंने 1482 में महमूद गवान को मार डाला और रईस 5 प्रमुख रियासतों के स्वतंत्र राज्यपाल बने। वे निम्‍न थे:
    (a) अहमदनगर का निजामशाही
    (b) गोलकोंडा का कुत्बशाही
    (c) बीदर का बरिदशाही
    (d) बेरार का इमादशाही
    (e) बीजापुर का अदिलशाही
  • उत्तर एवं दक्षिण के बीच बहमनी राज्य ने एक सांस्कृतिक पुल के रूप में कार्य किया। इसके फलस्वरूप विकसित होने वाली संस्कृति की अपनी अलग ही विशिष्टताएं थी, जो उत्तरी भारत से भिन्न थीं।


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